भारत के तटवर्ती मैदान के नाम - bharat ke tatiya maidan ke naam
तटीय मैदान का विस्तार भारत के प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणी तथा समुद्र तटों के मध्य हुआ है इन मैदाने के निर्माण में समुद्री निक्षित तथा नदियों के निक्षेप दोनों का योगदान है तटी मैदान को दो भागों में बांटा जा सकता है।
पश्चिमी टटीय मैदान
पश्चिमी तटी मैदान इस मैदान का विस्तार गुजरात के सूरत से कन्याकुमारी तक है गुजरात के तटवर्ती क्षेत्रों को गुजरात तट दमन से गोवा तक के क्षेत्र को कोकण तट गोवा से मैंगलोर तक के क्षेत्र को कन्नड़ तट तथा मंगलौर से कन्याकुमारी तक के क्षेत्र को मालवार तट कहते हैं
पश्चिमी तटीय मैदान में बहने वाली अधिकांश नदियां पश्चिम में घाट के पश्चिम में घाट से निकलती है यह नदियां छोटी घाट में होती है और जो मुहाने पर डेल्टा का निर्माण कर ईश्वरी का निर्माण करती है पश्चिमी तट पर कुछ तट पाए जाते हैं । जिन्हें केरल में ख्याल कहते हैं
उदाहरण। बेंबनाड तथा अष्टमुदी ।
- पश्चिमी तट का मैदान गुजरात के सूरत से कन्याकुमारी तक है
- गुजरात तट दमन से गोवा तक
- कोकण तट गोवा से मेंगलोर तक
- कन्नड़ तट तथा मंगलोर से कन्याकुमारी तक
पूर्वी तटीय मैदान
यह मैदान पूर्वी घाट एवं समुद्री तट के मध्य स्वर्ण रेखा नदी से कन्याकुमारी तक विस्तृत है यह पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में अधिक चौड़ा है जिसका प्रमुख कारण इस क्षेत्र में गोदावरी कृष्णा तथा कावेरी जैसी नदिया डेल्टा का निर्माण करती है पूरी तटी मैदान में डेल्टा क्षेत्र के विस्तृत होने के कारण यह क्षेत्र पश्चिम घाट की अपेक्षा अधिक उपजाऊ है भारत के पूर्वी तट पर ही पूर्वी भारत की दो महत्वपूर्ण झीले चिल्का एवं पुलिकट झील स्थित है पूर्वी घाट में स्थित तमिलनाडु का पूर्वी तट मंडल तट तथा गोदावरी से महानदी पर पूर्वी तटीय मैदान उत्तरी सरकार तट के नाम से जाना जाता है
- यह मैदानी पूर्वी घाट एवं समुद्री तट के मध्य स्वर्ण रेखा नदी से कन्याकुमारी तक है
- पश्चिमी तट का मैदान अधिक चोडा है
- पूर्वी तटीय मैदान में कृष्णा , कावेरी और गोदावरी नदी डेल्टा का निर्माण करती है
- यह अधिक उपजाऊ घाट है
- भारत की दो झीले चिल्का एवं पुलिकट झील है
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